क़िताब-ए-दिल का पस - मंज़र क्या लिखूं

 

क़िताब-ए-दिल का
पस - मंज़र क्या लिखूँ
यादों का हर मंज़र
तेरे हवाले रखा है

जंजीर-ए-वफ़ा इस पर
जो तुमने कभी डाली थी
बड़ी सिद्दत से अब तक
दिल ने संभाले रखा है

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