सुन ए दुश्मन अभी नादान है तू
हमारी ताकत से अनजान है तू
सिंदूर जो तूने मिटाया था
वही तो शोला बनकर बरसा है
अंजाम सोच तेरा क्या होगा
गर आगाज़ से इतना परेशान है तू
लहू बहाकर जब मासूमों का
तूने कायरता दिखलाई थी
एक चुटकी सिंदूर की ताकत
क्या तुझको समझ नहीं आई थी
अभी सिन्दूर का क़र्ज़ ही उतारा है
जो देखकर इतना हैरान है तू
अंजाम सोच तेरा क्या होगा
गर आगाज़ से इतना परेशान है तू
नापाक़ मनसूबे रखकर दिल में
तू एक दिन बड़ा पछतायेगा
आतंक के राहों पर चलकर
तू खुद ही फ़ना हो जायेगा
बर्बादी के कगार पर है खड़ा
क्यू झांकता नहीं गिरेबान है तू
आज सारे जहां में अपने वतन का
फ़क़त करवाता अपमान है तू
अंजाम सोच तेरा क्या होगा
गर आगाज़ से इतना परेशान है तू